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सिविल जज परीक्षा में सरकारी कर्मचारी भी होंगे शामिल, हाईकोर्ट का अहम आदेश

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सिविल जज परीक्षा 2024: सरकारी कर्मचारी भी अब दे सकेंगे परीक्षा, हाईकोर्ट ने बढ़ाई आवेदन तिथि

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सिविल जज परीक्षा में वे उम्मीदवार भी भाग ले सकते हैं, जो सरकारी कर्मचारी हैं और जिनका बार काउंसिल में नामांकन नहीं है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि एक विधि स्नातक उम्मीदवार, चाहे वह अधिवक्ता के रूप में नामांकित हो या नहीं, उसी परीक्षा में भाग ले सकता है, जिससे अन्य नामांकित अधिवक्ताओं को गुजरना होता है।

साथ ही, हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) को आदेश दिया है कि सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा 2024 के लिए आवेदन की अंतिम तिथि को 24 जनवरी 2025 से एक महीने तक बढ़ा दिया जाए।

यह मामला मध्यप्रदेश के जबलपुर निवासी विनीता यादव से जुड़ा था, जो विधि स्नातक हैं और रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर से कानून में डिग्री प्राप्त की है। वे छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल जज परीक्षा में सम्मिलित होना चाहती थीं, लेकिन वर्तमान में वह सरकारी कर्मचारी हैं और अधिवक्ता के रूप में नामांकित नहीं हैं। सरकारी कर्मचारी होने के कारण उन्हें बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत अधिवक्ता के रूप में नामांकित होने से रोक लगा था।

विनीता यादव ने अपनी अधिवक्ता शर्मिला सिंघई के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस पर मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डबल बैंच ने सुनवाई की। बैंच ने कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता को ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की अनुमति दी जानी चाहिए। यदि वह अन्य मानदंडों को पूरा करती हैं, तो उन्हें भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है।

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चूंकि ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 24 जनवरी 2025 थी, हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग को एक महीने के लिए आवेदन तिथि बढ़ाने का आदेश दिया। इसके अलावा, आयोग को यह भी निर्देशित किया गया कि उम्मीदवारों को ऑनलाइन फॉर्म भरने की अनुमति दी जाए, भले ही वे 1961 के अधिनियम के तहत अधिवक्ता के रूप में नामांकित न हों।

हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश सभी उम्मीदवारों पर लागू होगा, न कि केवल उन पर जिन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इसके साथ ही, CGPSC के अधिवक्ता अनिमेष तिवारी को आदेश दिया गया कि वे इस निर्णय की जानकारी आयोग को तत्काल दें। इस मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी 2025 को होगी।

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