“बच्चों को कितनी उम्र तक अपने साथ सुलाना चाहिए? माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण जानकारी”
माता-पिता अपने बच्चों की देखभाल को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। कई माता-पिता बच्चों के बड़े होने के बाद भी उन्हें अपने साथ सुलाते हैं। हालांकि, एक निश्चित उम्र के बाद बच्चों को अलग सोने की आदत डालनी चाहिए। इस लेख में जानिए कि किस उम्र के बाद माता-पिता को बच्चों को अपने साथ सुलाना बंद कर देना चाहिए।
बच्चों को अलग सोने की आदत कब डालनी चाहिए?
माता-पिता को प्री-प्यूबर्टी (यौवनारंभ से पहले) के दौरान बच्चों को अलग सुलाने की आदत डालनी चाहिए। प्यूबर्टी का अर्थ है कि बच्चा यौन रूप से परिपक्व हो चुका है और उसे निजी स्थान (स्पेस) की आवश्यकता होती है।
लड़कियों में प्यूबर्टी: 8 से 13 वर्ष की उम्र में।
लड़कों में प्यूबर्टी: 9 से 14 वर्ष की उम्र में।
इस अवधि में बच्चों के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे उनके व्यवहार और शारीरिक विकास में परिवर्तन आता है। इस कारण, उन्हें पर्याप्त व्यक्तिगत स्थान देना आवश्यक हो जाता है।
बच्चों को साथ सुलाने के नुकसान
- नींद की गुणवत्ता पर असर: माता-पिता के साथ सोने से बच्चों की नींद पूरी नहीं हो पाती, जिससे वे चिड़चिड़े और अस्वस्थ महसूस कर सकते हैं।
- आत्मनिर्भरता की कमी: बच्चे अपने माता-पिता पर अधिक निर्भर हो सकते हैं, जिससे आत्मनिर्भर बनने में कठिनाई हो सकती है।
- निजता का अभाव: बड़े होने पर बच्चों को अपनी निजता की आवश्यकता होती है, जिसे समझना जरूरी है।
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बच्चों को अलग सोने के लिए कैसे तैयार करें?
- शुरुआत में बच्चे को सुलाकर धीरे-धीरे अपने बिस्तर पर चले जाएं।
- उनके कमरे को आरामदायक और पसंदीदा बनाएं ताकि वे सहज महसूस करें।
- धीरे-धीरे उन्हें यह समझाएं कि अकेले सोना उनकी अच्छी नींद और विकास के लिए जरूरी है।
अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी प्रदान करता है। कृपया किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।