अब नहीं खुलेंगे नए बीएड कॉलेज, 5 सालों में पूर्णतः बंद होगा बीएड-डीएलएड: रायपुर
छत्तीसगढ़ सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 से राज्य में नए बीएड महाविद्यालयों की स्थापना पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही, किसी भी महाविद्यालय को द्विवर्षीय बीएड पाठ्यक्रम अथवा डीएलएड के लिए नई मान्यता नहीं दी जाएगी। यह निर्णय राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा लिया गया है, जिससे आगामी पांच वर्षों में बीएड और डीएलएड पाठ्यक्रमों के लिए कोई नए कॉलेजों की स्वीकृति नहीं होगी। यह कदम राज्य में शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है और इससे बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के लिए शैक्षणिक और व्यावासिक मार्गदर्शन के तौर पर नया दिशा मिलेगा।
बीएड और डीएलएड के महत्व को लेकर राज्य सरकार की रणनीति
इस बदलाव के बाद, बीएड और डीएलएड के नए कॉलेजों की शुरुआत पर रोक लगाने के अलावा, शिक्षा विभाग यह भी सुनिश्चित करेगा कि वर्तमान में चल रहे कॉलेजों में से कोई भी संस्थान अतिरिक्त विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं देगा। राज्य सरकार का उद्देश्य शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता बनाए रखना है, ताकि शिक्षक प्रशिक्षण के दौरान अभ्यर्थियों को बेहतर और प्रभावी शिक्षा मिल सके।
राज्य सरकार ने अपनी योजना के तहत यह फैसला लिया है कि अब दो वर्षीय बीएड और डीएलएड डिग्री के नए पाठ्यक्रम के लिए मान्यता नहीं दी जाएगी। इसके बजाय, जिन कॉलेजों में पहले से इन पाठ्यक्रमों की स्वीकृति प्राप्त है, वहीं इन पाठ्यक्रमों की निरंतरता होगी। इसके अलावा, पहले से लागू बीएड और डीएलएड पाठ्यक्रमों के छात्र भविष्य में विभिन्न सरकारी स्कूलों में शिक्षक के रूप में नियुक्त हो सकेंगे।
बीएड और डीएलएड डिग्रीधारी शिक्षक नियुक्ति की संभावना
शैक्षिक संस्थानों में इस बदलाव से बीएड और डीएलएड डिग्रीधारियों के लिए नियुक्ति के नए अवसर खुल सकते हैं। राज्य सरकार ने इस बदलाव को लेकर कुछ प्रमुख योजनाओं की शुरुआत की है। वर्तमान में, कई डीएलएड और बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों को प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति मिल सकती है।
राज्य सरकार द्वारा पहले से जारी प्रावीण्य सूची में भी डीएलएड डिग्रीधारियों के लिए प्राथमिक कक्षाओं में नियुक्ति दी जाएगी। इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इन डिग्रीधारियों को शिक्षा विभाग में स्थायित्व मिलेगा, जिससे उनकी कार्यक्षमता में भी सुधार हो सके।
विरोध और प्रदर्शन
राज्य में इस बदलाव को लेकर बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उनके द्वारा सामूहिक मुंडन जैसे विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि इस फैसले से उनकी नौकरी की सुरक्षा पर संकट आ सकता है। वे राज्य सरकार से अपने भविष्य के लिए ठोस आश्वासन चाहते हैं। उनके अनुसार, बीएड और डीएलएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों की स्थिति को लेकर सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि उन्हें भविष्य में स्थिरता और सम्मान मिल सके।
विरोध के बावजूद, राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इस फैसले का उद्देश्य शिक्षा के स्तर को बढ़ाना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षक तैयार करना है। राज्य सरकार का मानना है कि शिक्षक शिक्षा में सुधार से ही छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सकती है, जो भविष्य में उन्हें अच्छे नागरिक बनने के लिए प्रेरित करेगा।
नतीजा और आगे की दिशा
यह बदलाव बीएड और डीएलएड डिग्रीधारियों के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आ सकता है। हालांकि, उन्हें इस समय अपनी स्थिति को समझते हुए और योजनाबद्ध तरीके से अपनी तैयारी करनी होगी। यदि वे शिक्षक शिक्षा में सुधार के लिए राज्य सरकार के साथ सहयोग करते हैं, तो यह बदलाव उनके लिए बेहतर अवसर लेकर आ सकता है।
समग्र रूप से देखा जाए तो छत्तीसगढ़ राज्य का यह कदम शिक्षा क्षेत्र में एक सशक्त सुधार के रूप में सामने आता है। बीएड और डीएलएड के पाठ्यक्रमों की संरचना में बदलाव से शिक्षक प्रशिक्षण के स्तर में वृद्धि हो सकती है, और राज्य में गुणवत्ता वाले शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सकता है।