पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित
नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और देश की आर्थिक उदारीकरण नीति के प्रमुख शिल्पकार डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन के बाद केंद्र सरकार ने सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस अवधि में देश भर में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई भी सरकारी उत्सव या सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे।
राष्ट्रीय शोक का प्रोटोकॉल और प्रभाव
राष्ट्रीय शोक के दौरान देशभर में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। यह प्रोटोकॉल न केवल भारत में बल्कि विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास और उच्चायोगों पर भी लागू होगा। सरकारी कार्यालयों में कामकाज सामान्य रूप से जारी रहेगा, लेकिन किसी भी प्रकार का उत्सव या समारोह नहीं होगा। इस शोक अवधि में पूरे देश में संवेदनशीलता बनाए रखने की अपील की गई है।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा जाएगा। इसके साथ ही उन्हें बंदूकों की सलामी दी जाएगी, जो राजकीय सम्मान के हिस्से के रूप में दी जाती है। उनकी अंतिम यात्रा में कई वरिष्ठ नेता, गणमान्य व्यक्ति और उनके समर्थक शामिल होंगे।
मनमोहन सिंह: एक युगपुरुष
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उनकी नेतृत्व क्षमता, सादगी और दूरदर्शिता के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। 1991 में देश की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही, जब उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री के रूप में नई आर्थिक नीतियों को लागू किया। इन नीतियों ने भारत को वैश्विक स्तर पर आर्थिक पहचान दिलाई।
पूर्व प्रधानमंत्रियों के निधन पर राष्ट्रीय शोक की परंपरा
भारत में पूर्व प्रधानमंत्रियों के निधन पर सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित करने की परंपरा रही है। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी (2018), राजीव गांधी (1991), मोरारजी देसाई (1995), और चंद्रशेखर (2007) के निधन पर भी ऐसा ही किया गया था। यह परंपरा देश के प्रति उनकी सेवाओं का सम्मान करने का एक तरीका है।
राष्ट्रीय ध्वज और सार्वजनिक छुट्टियां
राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाने का प्रोटोकॉल भारतीय फ्लैग कोड के तहत निर्धारित है। शोक अवधि के दौरान सार्वजनिक छुट्टी अनिवार्य नहीं होती, लेकिन कभी-कभी राज्यों में स्थानीय स्तर पर छुट्टियां घोषित की जाती हैं। डॉ. सिंह के निधन पर भी यह निर्णय राज्यों के विवेक पर निर्भर करेगा।
देशभर में शोक की लहर
मनमोहन सिंह के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, और आम नागरिकों ने उनके निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह जी एक सच्चे देशभक्त और महान अर्थशास्त्री थे। उनकी दूरदर्शिता और सादगी हमेशा याद की जाएगी।”
मनमोहन सिंह का जीवन और योगदान
डॉ. सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब (अब पाकिस्तान में) के गाह गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से प्राप्त की। एक प्रख्यात अर्थशास्त्री के रूप में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की।
डॉ. सिंह के प्रधानमंत्री काल में भारत ने आर्थिक विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में बड़ी प्रगति की। उनके शांत और निश्चल व्यक्तित्व ने देश को कई राजनीतिक संकटों से उबरने में मदद की।
देश के लिए अपूरणीय क्षति
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन को भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। उनके योगदान को याद करते हुए कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता और सेवाएं सदैव देशवासियों के दिलों में जीवित रहेंगी।”
डॉ. मनमोहन सिंह ने देश को आर्थिक मजबूती और स्थिरता प्रदान की। उनका निधन भारत के लिए एक युग के अंत का प्रतीक है।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन: देश ने खोया एक महान अर्थशास्त्री और नेता