Mumbai. भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, जिसका मुख्य कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारी बिकवाली है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक निफ्टी इंडेक्स 24,500 के स्तर को पार नहीं करता, तब तक बाजार में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद कम है। इस स्थिति में निवेशकों को अतिरिक्त जोखिम लेने से बचने की सलाह दी जा रही है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार पर दबाव
लेख में बताया गया है कि विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही भारी बिकवाली के चलते बाजार में पिछले कुछ महीनों में बड़ी गिरावट आई है। आंकड़ों के अनुसार, एफआईआई की बिकवाली कुल बाजार गिरावट का लगभग 70% है। अक्टूबर माह के दौरान लगभग 1.14 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली दर्ज की गई, जिससे बाजार में मंदी का माहौल बना हुआ है।
प्रमुख सेक्टर्स में गिरावट
इस बिकवाली का असर प्रमुख सेक्टर्स पर भी देखा जा सकता है:
– बैकिंग और ऑटो सेक्टर: 12.9% की गिरावट
– एनर्जी सेक्टर: 14.5% की गिरावट, खासकर तेल और गैस कंपनियों में दबाव
– इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर: 12.5% की गिरावट, जिसमें रियल एस्टेट और निर्माण कंपनियां शामिल
– फार्मा सेक्टर: 10.7% की गिरावट, दवा कंपनियों के शेयरों में मंदी
– आईटी सेक्टर: 15.6% की गिरावट, प्रमुख आईटी कंपनियों के नतीजे उम्मीद से कमजोर
बाजार की दिशा तय करने वाले मुख्य कारक
1. आर्थिक आंकड़े और नीतिगत फैसले
– महंगाई दर, औद्योगिक उत्पादन, और जीडीपी ग्रोथ जैसे आर्थिक आंकड़ों का बाजार पर सीधा असर पड़ेगा। इन आंकड़ों में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता बाजार में और गिरावट ला सकती है।
– भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति और ब्याज दरों में बदलाव की संभावना भी बाजार की दिशा को प्रभावित कर सकती है।
2. तिमाही नतीजे
– कंपनियों के तिमाही नतीजे इस समय महत्वपूर्ण रहेंगे। अगर कंपनियों के मुनाफे में गिरावट आती है या अनुमान से कम प्रदर्शन होता है, तो बाजार में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
– विशेषकर आईटी, बैंकिंग, और ऑटो सेक्टर में प्रमुख कंपनियों के नतीजे बाजार के रुख को प्रभावित करेंगे।
3. वैश्विक आर्थिक स्थिति
– वैश्विक बाजार में मंदी के संकेत और अमेरिका, यूरोप जैसे बड़े बाजारों में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिल सकता है।
– इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से भी घरेलू बाजार पर दबाव बनेगा।
निवेशकों के लिए सलाह
वर्तमान में बाजार में अस्थिरता को देखते हुए विशेषज्ञों की सलाह है कि:
– दीर्घकालिक निवेशक अपने निवेश को बनाए रखें और बाजार में अधिक गिरावट होने पर उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश का अवसर तलाशें।
– स्विंग ट्रेडर्स को सतर्कता बरतनी चाहिए और महत्वपूर्ण स्तरों पर नजर रखनी चाहिए। खासकर 24,500 के ऊपर ब्रेकआउट की स्थिति में ही नए निवेश की योजना बनानी चाहिए।
– नए निवेशक फिलहाल बाजार में सीधे प्रवेश करने से बचें और बाजार की स्थिति में सुधार का इंतजार करें।
मौजूदा हालात में भारतीय शेयर बाजार वैश्विक और घरेलू कारकों के दबाव में है। जब तक बाजार में कोई ठोस सकारात्मक संकेत नहीं मिलता, तब तक निफ्टी और अन्य प्रमुख सूचकांकों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करें और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाते हुए बाजार की मौजूदा अस्थिरता में सावधानीपूर्वक निवेश करें।