बेमेतरा/बेरला. 8 नवंबर 2024:- पर्यावरण संरक्षण समिति “प्रथम” की वार्षिक बैठक शासकीय हाईस्कूल, भरदा के प्रांगण में संपन्न हुई। इस बैठक का उद्देश्य वर्षभर के कार्यों की समीक्षा, नए कार्यों की योजना बनाना और समिति की नई कार्यकारिणी का गठन करना था। बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों की सहमति से श्री हीराधर निषाद (सेवानिवृत्त) को एक वर्ष के लिए समिति का नया अध्यक्ष चुना गया, जबकि भूमिका वर्मा को संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्त किया गया।
बैठक में ग्राम भरदा और लावतरा से आए महाविद्यालय, आईटीआई, पॉलिटेक्निक कॉलेज और सेकेंडरी स्कूल के छात्र एवं अन्य आमंत्रित सदस्य मौजूद रहे। सभी सदस्यों ने स्थानीय पर्यावरण के विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार साझा किए और पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक कार्यों की ओर ध्यान आकर्षित किया।
प्लास्टिक प्रदूषण और स्वच्छता पर फोकस
नवनियुक्त अध्यक्ष श्री हीराधर निषाद ने बाजारों में प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग के कारण बढ़ती गंदगी पर विशेष रूप से ध्यान देने की बात की। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है बल्कि यह स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उन्होंने समिति को इस दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करने की अपील की। उनकी इस पहल का सभी सदस्यों ने समर्थन किया और इसे प्राथमिकता में शामिल किया।
पिछले कार्यों की समीक्षा और पर्यावरण पर विचार-विमर्श
बैठक का संचालन समिति के संस्थापक सदस्य एवं अकादमिक मार्गदर्शक श्री विकेश कुमार यादव (व्याख्याता) द्वारा किया गया। उन्होंने पिछले वर्ष के कार्यों की विस्तृत जानकारी दी, जिसमें वृक्षारोपण, जल स्रोतों की सफाई, और बर्ड वॉचिंग जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया था। इसके बाद सभी सदस्यों ने अपनी राय व्यक्त की और स्थानीय पर्यावरण की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव दिए। सभी सुझावों पर चर्चा करने के बाद समिति ने समूहों में विभाजित होकर विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर जागरूकता
अकादमिक मार्गदर्शक श्री विकेश कुमार यादव ने “जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों” पर एक विशेष सत्र में जागरूकता बढ़ाने की बात कही। उन्होंने पृथ्वी के तापमान में 1.1°C की वृद्धि को मानव शरीर के तापमान में वृद्धि (बुखार) से जोड़ते हुए समझाया कि कैसे यह हमारे पर्यावरण और जीवन को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रजातियों का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है और मानव जीवन के अस्तित्व के लिए प्राणियों और पक्षियों के संरक्षण की दिशा में ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।
सह-अस्तित्व और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग
सदस्यों ने वृक्षारोपण और वायु प्रदूषण पर भी व्यापक चर्चा की। उन्होंने सह-अस्तित्व की आवश्यकता को समझाया और कहा कि मनुष्य का विकास जरूरी है, लेकिन इसका संतुलित होना भी आवश्यक है। प्राकृतिक संसाधनों का इस तरह उपयोग करना चाहिए कि उनकी क्षति कम से कम हो और पुनर्चक्रित संसाधनों के उपयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सभी सदस्यों ने यह भी सहमति जताई कि मांसाहार हेतु कछुए, जल पक्षियों, और छोटे जीवों को मारना अनुचित है, और इन्हें कैद करने की बजाय मुक्त छोड़ना चाहिए। समिति ने लोगों के बीच इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने का निर्णय लिया।
नई कार्यकारिणी का गठन और विभिन्न पदों का वितरण
बैठक में 50 से अधिक सदस्यों की उपस्थिति रही। वरिष्ठ संरक्षक पन्नालाल परगनिहा और सलाहकार राधेश्याम वर्मा (सेवानिवृत्त शिक्षक) के मार्गदर्शन में समिति की नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। ताकेश्वर निषाद (भरदा) को सचिव और भूमिका वर्मा (लावातरा) को संयुक्त सचिव चुना गया। प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी भुनेश्वरी भारती (पॉलिटेक्निक कॉलेज) और भूमिका निषाद (लावातरा) को दी गई। डीकेश निषाद और चांदनी पटेल (दोनों ग्राम भरदा) को कार्यक्रम संयोजक नियुक्त किया गया। इसके अतिरिक्त, पूर्व अध्यक्ष कमलेश यदु को विशेष आमंत्रित सदस्य और कोषाध्यक्ष की भूमिका सौंपी गई।
एक वर्ष की कार्ययोजना तैयार
अध्यक्ष के मार्गदर्शन में समिति ने आगामी वर्ष के लिए कार्ययोजना बनाई। इस योजना में प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र बनाने के प्रयास, नेचर वॉक और बर्ड वॉचिंग जैसी गतिविधियों का आयोजन, बर्ड ऑब्जर्वेटरी की स्थापना, कछुआ संरक्षण, और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन शामिल है। इस योजना का उद्देश्य युवाओं को पर्यावरण जागरूकता में शामिल करना और उन्हें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना है।
समिति ‘प्रथम’ के बारे में
पर्यावरण संरक्षण समिति “प्रथम” का उद्देश्य स्थानीय युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक बनाना है। यह समिति बर्ड वॉचिंग, कछुआ संरक्षण, और प्लास्टिक के खिलाफ अभियान जैसे रचनात्मक कार्यों में संलग्न रहती है। इसके सदस्य गाँव में नियमित रूप से बर्ड वॉचिंग के लिए जाते हैं और पक्षियों की संख्या व प्रजातियों का अध्ययन करते हैं।
इस तरह समिति “प्रथम” ने अपने कार्यों के माध्यम से न केवल युवाओं को पर्यावरण की सुरक्षा में भागीदारी निभाने का मौका दिया है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।