जानें घर के मंदिर में कौन सी मूर्तियाँ अशुभ होती हैं? (Know which idols are inauspicious in the home temple?)
घर के मंदिर में मूर्तियों का महत्व और वास्तु शास्त्र
हिंदू धर्म में घर का मंदिर अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है, जहाँ पूजा-अर्चना और ध्यान का महत्व होता है। इस स्थान को साफ और व्यवस्थित रखना आवश्यक है, ताकि परिवार के सदस्यों पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में मूर्तियों का सही ढंग से होना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह परिवार की सुख-शांति और समृद्धि पर असर डाल सकता है। इस लेख में हम उन मूर्तियों के बारे में बात करेंगे जिन्हें घर के मंदिर में नहीं रखना चाहिए, ताकि नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके।
1. एक जैसी दो मूर्तियाँ न रखें
- शुभ कार्यों में बाधा का कारण
वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घर के मंदिर में एक ही भगवान की दो या अधिक मूर्तियाँ रखना शुभ नहीं माना जाता। विशेष रूप से गणेश जी की तीन प्रतिमाएं रखना बहुत ही अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यदि घर के मंदिर में एक ही भगवान की दो या तीन मूर्तियाँ रखी जाती हैं, तो इससे शुभ कार्यों में अड़चनें आती हैं और परिवार में कलह का माहौल बन सकता है। भगवान की एक ही मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए ताकि पूजा का पूरा लाभ प्राप्त हो और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।
- मानसिक शांति में कमी
पूजा करते समय यदि भगवान की कई मूर्तियाँ एक ही स्थान पर हों, तो मन की एकाग्रता में भी कमी आती है। पूजा के दौरान ध्यान भटकने का खतरा रहता है, जिससे पूजा का पूरा लाभ नहीं मिल पाता। इसलिए घर के मंदिर में एक ही भगवान की एकमात्र मूर्ति रखनी चाहिए, ताकि पूजा करते समय मन एकाग्र रहे और मानसिक शांति बनी रहे।
2. खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित
- नकारात्मक ऊर्जा का संचार
हिंदू धर्म में खंडित मूर्तियों की पूजा को वर्जित माना गया है। अगर कोई मूर्ति खंडित हो जाए तो उसे तुरंत पूजा के स्थल से हटा देना चाहिए। खंडित मूर्तियाँ घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और घर के सदस्यों के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। खंडित मूर्तियों को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए, ताकि उनकी ऊर्जा घर के वातावरण से दूर हो जाए।
- समृद्धि में बाधा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, खंडित मूर्तियों को पूजा घर में रखना परिवार की समृद्धि में बाधा डाल सकता है। यह परिवार के सदस्यों की तरक्की को रोकता है और उनके जीवन में कई प्रकार की चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि यदि कोई मूर्ति खंडित हो जाए, तो उसे तुरंत बदल दिया जाए और नई मूर्ति स्थापित की जाए।
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3. बहुत बड़ी मूर्तियाँ मंदिर में न रखें
- अनुचित शिवलिंग का प्रभाव
घर के मंदिर में शिवलिंग स्थापित करना एक आम परंपरा है, लेकिन इसका सही आकार चुनना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में रखा जाने वाला शिवलिंग अंगूठे के आकार से बड़ा नहीं होना चाहिए। बड़े आकार का शिवलिंग घर के माहौल में अशांति और नकारात्मक प्रभाव ला सकता है। शिवलिंग अत्यधिक संवेदनशील होता है, इसलिए घर के मंदिर में छोटे आकार का शिवलिंग रखना ही उचित माना जाता है।
- बड़े आकार की मूर्तियों से मानसिक तनाव
बड़ी मूर्तियों का प्रभाव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानसिक भी हो सकता है। बड़ी मूर्तियाँ पूजा के स्थान पर अधिक स्थान घेरती हैं, जिससे मनोवैज्ञानिक रूप से पूजा करते समय व्यक्ति तनाव महसूस कर सकता है। इसके बजाय छोटे आकार की मूर्तियाँ रखना बेहतर होता है, ताकि पूजा का स्थान स्वच्छ, शांतिपूर्ण और सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहे।
4. मंदिर के ऊपर शौचालय न हो
- मंदिर के पवित्रता का हनन
वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर के ऊपर या उसके आसपास शौचालय नहीं होना चाहिए। ऐसा होने से मंदिर की पवित्रता दूषित हो जाती है और भगवान की उपासना का फल नहीं मिलता। पूजा स्थान को हमेशा शुद्ध और पवित्र रखना चाहिए, ताकि वहां की सकारात्मक ऊर्जा बरकरार रहे। यदि मंदिर के ऊपर शौचालय हो, तो इसका प्रभाव परिवार की सुख-शांति और समृद्धि पर नकारात्मक रूप से पड़ता है।
- स्वास्थ्य और समृद्धि पर प्रभाव
शौचालय से उत्पन्न गंदगी और नकारात्मक ऊर्जा पूजा स्थल की पवित्रता को भंग कर देती है, जिससे घर के सदस्यों के स्वास्थ्य और समृद्धि पर भी असर पड़ता है। वास्तु शास्त्र में यह माना गया है कि अगर पूजा स्थल शुद्ध और पवित्र हो, तो घर के सभी सदस्य स्वस्थ और समृद्ध रहते हैं। इसलिए, घर के मंदिर के ऊपर या आसपास शौचालय रखने से बचना चाहिए।
5. रसोई में मंदिर नहीं होना चाहिए
- पूजा-अर्चना का फल कम होना
वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में मंदिर बनाना उचित नहीं माना जाता है। रसोई एक ऐसा स्थान है जहाँ भोजन पकता है और यहाँ की ऊर्जा पूजा स्थल की पवित्रता से मेल नहीं खाती। अगर रसोई में मंदिर बनाया जाता है, तो पूजा-अर्चना का पूर्ण फल नहीं मिलता और घर में नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकता है।
- परिवार के संबंधों पर असर
रसोई में मंदिर रखने से परिवार के संबंधों पर भी असर पड़ सकता है। रसोई में व्याप्त ऊर्जा और मंदिर की पवित्रता के बीच टकराव होने से परिवार के सदस्यों के बीच तनाव और कलह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए रसोई में मंदिर रखने से बचना चाहिए और इसके बजाय उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर का निर्माण करना उचित होता है।
6. साफ-सफाई का ध्यान रखें
- मुरझाए फूलों का नकारात्मक प्रभाव
घर के मंदिर की सफाई और व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। मुरझाए हुए फूलों को समय पर हटा देना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। साफ-सुथरे और सुव्यवस्थित मंदिर में पूजा करने से मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे घर के सभी सदस्य सुखी रहते हैं।
- धूल-मिट्टी और अव्यवस्था का प्रभाव
मंदिर में धूल-मिट्टी या अव्यवस्था भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। पूजा स्थल की सफाई न होने से वहां की ऊर्जा दूषित होती है और पूजा-अर्चना का पूरा फल नहीं मिलता। नियमित रूप से मंदिर की सफाई करने और वहां रखे सामान को सुव्यवस्थित रखने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
घर के मंदिर में मूर्तियों का सही ढंग से होना और वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि इन नियमों का सही ढंग से पालन नहीं किया जाता, तो परिवार में कलह, तनाव और नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है। एक जैसी मूर्तियाँ न रखना, खंडित मूर्तियों को तुरंत हटा देना, छोटे आकार की मूर्तियाँ रखना और मंदिर की पवित्रता बनाए रखना परिवार के सुख-शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक है।