नाग पंचमी पर क्रूरता का चेहरा: जबलपुर में 50 से अधिक सांपों के मुंह चिपकाए गए, दांत तोड़े गए
जबलपुर | नाग पंचमी के शुभ अवसर पर जबलपुर में आस्था की आड़ में अमानवीयता की तस्वीर सामने आई है। शहर में सपेरों द्वारा प्रदर्शन के लिए लाए गए 57 से अधिक सांपों को वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू किया है। इनमें 51 कोबरा और 6 धामन (चूहा साँप) शामिल थे।
वन विभाग की कार्रवाई के दौरान जो खुलासे हुए, वे रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं। कुछ सांपों के मुंह जबरन सिल दिए गए थे, ताकि वे किसी को नुकसान न पहुंचा सकें, जबकि कुछ के जहर के दांत तोड़ दिए गए थे। यह सब इसलिए किया गया था ताकि नाग पंचमी पर इन सांपों को सार्वजनिक पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में “सुरक्षित” तरीके से इस्तेमाल किया जा सके।
वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया,
“यह न सिर्फ कानून का उल्लंघन है बल्कि पशु क्रूरता का गंभीर मामला भी है। हमने सभी सांपों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया है और संबंधित सपेरों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है।”
वन्य जीव विशेषज्ञों ने भी इस घटना की निंदा की है और कहा है कि इस प्रकार की गतिविधियाँ सांपों के लिए जानलेवा साबित होती हैं। जिन साँपों के मुंह सिले गए थे, वे भोजन नहीं कर पा रहे थे, जिससे कई की हालत बेहद गंभीर हो गई थी।
कानूनी पहलू
भारत में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत सांपों का शोषण, पकड़ना, या सार्वजनिक प्रदर्शन अवैध है। फिर भी हर साल नाग पंचमी पर ऐसे मामले सामने आते हैं, जहाँ धार्मिक आस्था के नाम पर इन जीवों को क्रूरता से प्रयोग में लाया जाता है।
आवश्यक सवाल
- क्या नाग पंचमी पर ऐसे प्रदर्शन वाकई ज़रूरी हैं?
- क्या हमारी आस्था इतनी संवेदनहीन हो चुकी है कि हम जीवों की पीड़ा को अनदेखा कर दें?
वन विभाग की अपील
वन विभाग ने जनता से अपील की है कि यदि कहीं भी सांपों का अवैध प्रदर्शन या उनके साथ क्रूरता होती दिखे, तो तुरंत इसकी सूचना स्थानीय वन कार्यालय को दें।