छत्तीसगढ़ में तहसीलदारों का बड़ा आंदोलन शुरू: “संसाधन नहीं तो काम नहीं” नारे के साथ 3 दिनी हड़ताल, राजस्व व्यवस्था ठप होने की आशंका
रायपुर। छत्तीसगढ़ के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने सोमवार से अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर तीन दिवसीय राज्यव्यापी प्रदर्शन शुरू कर दिया है। “संसाधन नहीं तो काम नहीं” के नारे के साथ इस चरणबद्ध आंदोलन में प्रदेश के सभी 550 से अधिक तहसीलदार शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले इस आंदोलन की शुरुआत जिला स्तर पर हुई है। 29 जुलाई को संभागीय स्तर पर और 30 जुलाई को राज्य स्तर पर आंदोलन होगा। इस दौरान सभी तहसीलों में कामकाज प्रभावित रहेगा।
संघ के कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंह ने कहा कि “यह प्रदर्शन लंबे समय से लंबित समस्याओं, पदोन्नति, संसाधनों की कमी और संरचनात्मक सुधारों की उपेक्षा के विरोध में है।”
तहसीलदारों की प्रमुख मांगों में नायब तहसीलदारों को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा, तहसीलों में स्टाफ की पर्याप्त नियुक्ति, शासकीय वाहन की व्यवस्था, और पदोन्नति प्रक्रिया में सुधार शामिल हैं। इसके साथ ही न्यायालयीन कार्यों के लिए सुरक्षा, फील्ड ड्यूटी में वाहन, तकनीकी कार्यों के लिए प्रशिक्षित ऑपरेटर और मोबाइल नंबर की गोपनीयता जैसे विषयों को लेकर भी विरोध जताया गया है।
इससे पहले तहसीलदार संघ के प्रतिनिधिमंडल ने राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा से मुलाकात कर अपनी मांगें रखी थीं। मंत्री ने मांगों को जायज़ मानते हुए जल्द समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन समाधान नहीं मिलने पर अब आंदोलन की राह पकड़ी गई है।
प्रशासनिक हलकों में चिंता है कि यदि यह आंदोलन लंबा खिंचा तो इससे राजस्व कार्य, प्रमाणपत्र जारी करना, न्यायिक मामलों की सुनवाई, और फील्ड वेरिफिकेशन जैसे जरूरी कार्यों पर गंभीर असर पड़ेगा।