छत्तीसगढ़ में फार्मासिस्टों की अनसुनी पुकार: भर्ती में भेदभाव, शिक्षा में गिरावट और समर्थन की कमी पर उठी आवाज
- सिर्फ 25 पद… और वो भी कुछ जिलों में?
रायपुर| 8 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ के फार्मासिस्ट समुदाय ने अपनी उपेक्षा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राज्य में 25,000 से अधिक पंजीकृत फार्मासिस्ट हैं, लेकिन सुविधाओं और अवसरों के मामले में उन्हें लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। हाल ही में छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल (CGVYAPAM) द्वारा फार्मासिस्ट ग्रेड-II के लिए सिर्फ 25 पदों की घोषणा की गई, जो सिर्फ कुछ जिलों तक सीमित हैं। इससे फार्मासिस्टों में असंतोष फैल गया है।
भर्ती प्रक्रिया में असमानता और पारदर्शिता की कमी
फार्मा एक्टिविस्ट योगेश साहू का कहना है, “पूरे राज्य के लिए 25 रिक्तियां बेहद नाकाफी हैं। 25 रिक्तियां पूरे राज्य की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकतीं। सबसे पहले तो सरकार और व्यापम को यह स्पष्ट करना चाहिए कि फार्मासिस्ट की पोस्ट में डिप्लोमा इन फार्मेसी को प्राथमिकता दी गई है,लेकिन इसमें बैचलर ऑफ फार्मेसी को जोड़ा नहीं गया| ये रजिस्टर्ड उच्च शिक्षा ग्रहण करने वालों के साथ खिलवाड़ करने जैसा है।”
फार्मेसी शिक्षा में गिरती गुणवत्ता और बढ़ती फीस
प्राइवेट कॉलेजों, खासकर रावतपुरा विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में बढ़ती फीस और घटती शैक्षणिक गुणवत्ता ने छात्रों के भविष्य को संकट में डाल दिया है। फार्मासिस्टों ने फीस नियंत्रण और शिक्षा में सुधार की मांग की है।
फार्मासिस्ट समुदाय की प्रमुख मांगें
- भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित और सभी जिलों में पदों का समान वितरण
2.फार्मेसी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और फीस नियंत्रण
3. रोजगार अवसरों का विस्तार और कार्यस्थल सुविधाओं में सुधार
एकजुटता और आंदोलन की चेतावनी
समुदाय ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक आंदोलनों के ज़रिए अपनी आवाज़ बुलंद करने का निर्णय लिया है। योगेश साहू ने कहा, “अब चुप रहने का समय नहीं है। हमें संगठित होकर सरकार तक अपनी बात पहुंचानी होगी।”
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सरकार से सवाल
फार्मासिस्टों की यह आवाज सिर्फ उनके अधिकारों की नहीं, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को मज़बूत करने की भी अपील है। अब देखना होगा कि सरकार इस गंभीर मुद्दे को कितनी प्राथमिकता देती है।