सावन शुरू, जानिए कितने तरह के होते हैं कांवड़िया और क्या हैं यात्रा के नियम
Kanwar Yatra 2025 Update: सावन मास की शुरुआत के साथ ही शिवभक्तों की आस्था का सबसे बड़ा पर्व — कांवड़ यात्रा — 11 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, जो 23 जुलाई को शिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। इस दौरान देशभर से श्रद्धालु गंगाजल लाकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कांवड़िये कितने प्रकार के होते हैं और इस यात्रा के दौरान किन नियमों का पालन ज़रूरी होता है?
कांवड़िये होते हैं कई प्रकार के
कांवड़ यात्रा में भाग लेने वाले भक्तों को उनके यात्रा के तरीके के अनुसार अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाता है:
- सामान्य कांवड़िया – ये कांवड़ यात्रा के दौरान रुकते हैं, पंडालों में विश्राम करते हैं और फिर आगे बढ़ते हैं।
- डाक कांवड़िया – बिना रुके लगातार दौड़ते हुए जल चढ़ाते हैं, इनके लिए विशेष मार्ग बनाए जाते हैं।
- खड़ी कांवड़ – कांवड़ को कभी जमीन पर नहीं रखते, कोई साथी लगातार खड़ा रखता है।
- दांडी कांवड़ – ये भक्त पूरी यात्रा दंडवत करते हुए तय करते हैं, यह सबसे कठिन यात्रा मानी जाती है।
कांवड़ यात्रा के नियम (Kanwar Yatra Ke Niyam):
- आस्था और शुद्ध मन से यात्रा करें, दिखावा न करें
- तामसिक भोजन, नशा और धूम्रपान से दूर रहें
- कांवड़ को कभी भी जमीन पर न रखें
- शारीरिक और मानसिक पवित्रता बनाए रखें
- किसी भी प्राणी को कष्ट न दें
- साफ वस्त्र पहनें और नियमित स्नान करें
कांवड़ यात्रा में क्या करें और क्या न करें (Dos and Don’ts):
- समूह में चलें, अकेले यात्रा करने से बचें
- जरूरतमंद कांवड़ियों की मदद करें
- प्राथमिक उपचार किट साथ रखें
- निर्धारित मार्गों पर ही यात्रा करें
- जमीन पर सोएं, चारपाई पर नहीं
- डीजे या तेज आवाज़ में भजन बजाकर शांति भंग न करें
- यात्रा के दौरान हथियार लेकर चलना मना है
- रास्ते में कूड़ा फैलाने से बचें
श्रावण मास में कांवड़ यात्रा भोलेनाथ तक पहुंचने का एक पवित्र साधन है, इसमें शुद्धता, अनुशासन और श्रद्धा आवश्यक है।