सरकारी आदेश की अवहेलना: निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान, फीस और किताबों पर बेतहाशा खर्च
Raipur News| छत्तीसगढ़ के निजी स्कूलों ने नए शैक्षणिक सत्र के साथ ही सरकारी निर्देशों की खुली अवहेलना शुरू कर दी है। सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद निजी स्कूल एससीईआरटी व एनसीईआरटी की किताबों के बजाय महंगी निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर कर रहे हैं।
कमीशन के लालच में हो रही किताबों की धांधली
शिक्षा विभाग द्वारा स्पष्ट आदेश दिए गए हैं कि छत्तीसगढ़ बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल केवल राज्य पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें और सीबीएसई स्कूल एनसीईआरटी की किताबें ही लगाएं। इसके बावजूद स्कूल संचालक कमीशन के चक्कर में निजी प्रकाशकों से गठजोड़ कर अभिभावकों को महंगी किताबें खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं।
महंगी किताबों का बोझ
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नर्सरी से तीसरी तक: ₹2200 से बढ़कर ₹3500
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कक्षा 5 से 8: ₹5000 से ₹7000
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कक्षा 9-10: ₹850 की एनसीईआरटी किताबें के साथ तीन और महंगी किताबें
फीस कम कराने पर मिलती है धमकी
कई अभिभावकों ने बताया कि जब वे फीस कम करने या किस्तों में देने की बात करते हैं तो स्कूल प्रबंधन द्वारा टीसी (स्थानांतरण प्रमाणपत्र) लेने की धमकी दी जाती है। इससे मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों पर दोहरी मार पड़ रही है।
अन्य मनमानी फैसले:
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स्कूल खुद जूता-मोजा, टाई-बेल्ट आदि बेच रहे हैं
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वाहन सुविधा भी लाभ कमाने के उद्देश्य से दी जा रही है
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फीस, ट्यूशन व मेंटेनेंस में साल-दर-साल बढ़ोतरी
शिक्षा विभाग का आदेश
जिला शिक्षा कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि कोई भी स्कूल अभिभावकों को किसी विशेष दुकान से किताबें या अन्य वस्तुएं खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। स्कूल को शपथ पत्र देना होगा कि वे सरकारी निर्देशों का पालन कर रहे हैं।
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मैनेजमेंट स्कूल एसोसिएशन की आपत्ति
छत्तीसगढ़ मैनेजमेंट स्कूल एसोसिएशन ने इस आदेश को हाईकोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन बताया है। उनका कहना है कि एससीईआरटी की किताबें अभी तक स्कूलों को उपलब्ध नहीं कराई गई हैं और नए सत्र की शुरुआत को तीन महीने हो चुके हैं।