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भारत भी बना रहा है बंकर बस्टर बम: स्वदेशी बंकर बस्टर बम से भारत की मिसाइल ताकत को मिलेगा नया बल

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भारत भी बना रहा है बंकर बस्टर बम: स्वदेशी बंकर बस्टर बम से भारत की मिसाइल ताकत को मिलेगा नया बल

नई दिल्ली। ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के बंकर बस्टर बम हमले के बाद अब भारत भी अपनी सैन्य क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) मेड-इन-इंडिया बंकर बस्टर बम तैयार करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। यह बम भारत की अग्नि मिसाइल में वारहेड के रूप में उपयोग किया जाएगा।


क्यों ज़रूरी है भारत के लिए यह बम?

भारत ने अतीत में पाकिस्तान के साथ तीन युद्ध लड़े हैं और हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों में सक्रियता दिखाई है। कई रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों को पहाड़ी क्षेत्रों के अंदर गहरे बंकरों में रखता है। ऐसे में बंकर बस्टर बम की ज़रूरत भारत के लिए सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत आवश्यक हो गई है।


भारत का बंकर बस्टर अमेरिका से अलग, लेकिन घातक

जहां अमेरिका ने अपने बंकर बस्टर बम GBU-57A/B MOP (Massive Ordnance Penetrator) को B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से दागा, वहीं भारत इसे मिसाइल-आधारित डिलीवरी सिस्टम से लॉन्च करेगा। इससे लागत कम होगी और ऑपरेशन अधिक सहज रहेगा।


अग्नि-5 मिसाइल का विशेष संस्करण करेगा हमला

DRDO अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का एक विशेष संशोधित संस्करण विकसित कर रहा है जो 7500 किलो वजनी बंकर बस्टर वारहेड को ले जाने में सक्षम होगा।

  • यह वारहेड 80 से 100 मीटर जमीन के नीचे घुसकर विस्फोट करेगा।
  • इसकी गति ध्वनि से 8 से 20 गुना तेज होगी।
  • भारी वजन के कारण इसकी रेंज घटाकर लगभग 2,500 किलोमीटर रखी जाएगी (मूल रेंज 5,000 किमी है)।

अमेरिका का बंकर बस्टर बम: दुनिया का सबसे घातक हथियार

हाल ही में अमेरिका ने ईरान के नातांज, फोर्डो और इस्फहान जैसे प्रमुख परमाणु ठिकानों को बंकर बस्टर बम से निशाना बनाया।

  • अमेरिका के GBU-57A/B MOP बम का वजन लगभग 13,600 किलोग्राम होता है।
  • यह बम 60 फीट मोटी कंक्रीट को भेद सकता है और 200 फीट गहराई तक धमाका कर सकता है।
  • इसमें 6,000 पाउंड विस्फोटक भरा होता है।

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भारत की तैयारी: आत्मनिर्भर रक्षा नीति की दिशा में एक और कदम

DRDO की यह परियोजना भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई दे सकती है। घरेलू स्तर पर विकसित यह बंकर बस्टर न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि भारत को स्वदेशी हथियार निर्माण में और आत्मनिर्भर बनाएगा।

 

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