8th Pay Commission: आखिर क्यों हर बार जनवरी से ही लागू होता है नया वेतन आयोग? जानिए इसके पीछे की वजह
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। आधिकारिक रूप से इसे 1 जनवरी 2026 से लागू होना बताया गया है, लेकिन अंदरूनी चर्चाओं में इसकी देरी और संभावित लागू तिथि 2028 तक पहुंचने की अटकलें लगाई जा रही हैं। कर्मचारी नेताओं और जानकारों के मुताबिक, इसकी वजह केवल राजनीतिक या प्रशासनिक विलंब नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक परंपरा और आर्थिक गणना प्रणाली भी है जो साल 1973 से चली आ रही है।
क्यों हर बार जनवरी में ही लागू होता है वेतन आयोग?
1973 में तत्कालीन सरकार ने वेतन आयोग लागू करने के लिए जनवरी माह को आधार वर्ष के रूप में चुना था। इसका सबसे बड़ा कारण था कि इस समय पर महंगाई भत्ते (DA) को नए वेतन में मर्ज करना आसान होता है। इससे सरकार को भी अतिरिक्त वेतन खर्च में राहत मिलती है। तब से लेकर अब तक जितने भी वेतन आयोग लागू हुए हैं, वे सभी जनवरी से ही प्रभाव में लाए गए हैं।
देरी की संभावनाएं और कारण
ऑल इंडिया अकाउंट्स कमेटी के महासचिव हरिशंकर तिवारी का मानना है कि 8वां वेतन आयोग अपने Terms of Reference (ToR) को तय करने, चर्चा और रिपोर्ट तैयार करने में ही कम से कम एक साल लेगा। इसके बाद सरकार तक सिफारिशें पहुंचने में और वक्त लगेगा। तिवारी का यह भी कहना है कि कंप्यूटर और डिजिटल सिस्टम ने भले कैलकुलेशन आसान बना दिया हो, लेकिन नीतिगत फैसलों में देरी अभी भी वैसी ही बनी हुई है।
7th Pay Commission बना था सबसे तेज़
7वें वेतन आयोग ने अब तक की तुलना में सबसे तेज़ी से काम किया था। उसने डेढ़ साल से भी कम समय में अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को 2015 में सौंप दी थी, और सरकार ने इसे 1 जनवरी 2016 से लागू कर दिया था।
2029 के लोकसभा चुनाव से पहले लागू हो सकता है 8वां वेतन आयोग
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार जनवरी 2028 तक वेतन आयोग को लागू कर सकती है ताकि 2029 के लोकसभा चुनाव में इसका सीधा राजनीतिक लाभ मिल सके। चूंकि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए जाने के बाद ही राज्य सरकारें भी इसका अनुसरण करती हैं, इसलिए यह फैसला राजनीतिक रूप से भी अहम होगा।
महंगाई भत्ता और वेतन आयोग में गहरा संबंध
हर बार जब नया वेतन आयोग लागू होता है, तो उससे पहले के वर्षों में DA यानी महंगाई भत्ता लगातार बढ़ता है। आयोग की सिफारिशें लागू करते समय इस भत्ते को नए वेतन में समायोजित किया जाता है, जिससे सरकार को वेतन भार कम झेलना पड़ता है। यही कारण है कि सरकारें मध्य या अंत वर्ष में वेतन आयोग लागू करने से बचती हैं।
8वां वेतन आयोग भले ही अभी दूर की बात लगे, लेकिन उसकी प्रक्रिया और समय निर्धारण के पीछे पारंपरिक कारण, आर्थिक गणना, और राजनीतिक समीकरण छिपे होते हैं। कर्मचारी संगठनों को उम्मीद है कि यह आयोग भी तय समय पर लागू होगा, जिससे देशभर के 1 करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स को राहत मिल सके।