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शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन:मां कूष्मांडा की आराधना से भक्तों के सभी रोग, दुख और कष्ट होते हैं समाप्त

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  • मां कूष्मांडा देवी का स्वरूप अनंत शक्ति का प्रतीक है, जो सृष्टि की रचना और जीवों की पालनकर्ता
Shardiya Navratri fourth day: 04.10.2024 Maa Kushmanda
gossipbharat.com – मां कूष्मांडा

Shardiya Navratri fourth day: 04.10.2024 Maa Kushmanda;नवरात्रि के चौथे दिन..भक्तों द्वारा मां कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व

On the fourth day of Shardiya Navratri: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन, मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है। मां कूष्मांडा को अपनी मधुर और हल्की हंसी के माध्यम से अंड (ब्रह्मांड) की रचना करने वाली देवी माना जाता है। जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था और चारों ओर केवल अंधकार था, तब उन्होंने अपनी ‘ईषत’ हंसी से सृष्टि को जन्म दिया। इसलिए उन्हें सृष्टि की आदि शक्ति के रूप में पूजा जाता है।

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा विधि: आध्यात्मिक शक्ति का जागरण

हर साल की तरह, इस वर्ष भी शारदीय नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। नवरात्रि के चौथे दिन, भक्तों द्वारा मां कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। मां कूष्मांडा देवी का स्वरूप अनंत शक्ति का प्रतीक है, जो सृष्टि की रचना और जीवों के पालन का कार्य करती हैं।

 मां कूष्मांडा का महत्व

मां कूष्मांडा देवी को सृष्टि की जननी माना जाता है। उनके मंद और हल्की हंसी से पूरे ब्रह्माण्ड की रचना हुई। उनका नाम “कूष्मांडा” इसीलिए पड़ा क्योंकि “कूष्म” का अर्थ होता है कुम्भ (गर्भ) और “आंडा” का अर्थ होता है अंडा। इस प्रकार, मां कूष्मांडा संपूर्ण सृष्टि की माता हैं और हर जीव की आत्मा में निवास करती हैं।

 पूजा विधि

1.पूजन का समय
– नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा आमतौर पर प्रात: काल की जाती है।
– इस दिन विशेष रूप से अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना शुभ माना जाता है।

2. सामग्री की तैयारी
– पूजा के लिए पवित्र जल, गंगाजल, फूल, चंदन, दीपक, अगरबत्ती, मिठाई, फल (विशेष रूप से नारियल और केले), तथा मां का प्रिय भोग तैयार करें।

3. स्थान का चयन
– पूजा के लिए एक पवित्र स्थान चुनें। उस स्थान पर एक चौकी रखें और उस पर मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

4. स्नान और वस्त्र
– पूजा करने वाले को पहले स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।

5.दीप जलाना
– सबसे पहले दीपक जलाकर मां कूष्मांडा का ध्यान करें।

6. मंत्रोच्चारण
– मां कूष्मांडा के मंत्र का जप करें:

ॐ कूष्माण्डायै नमः


– इसे 108 बार जपना विशेष फलदायी माना जाता है।

7. अर्चना
– मां को पुष्प, फल और मिठाई अर्पित करें।
– इस दिन विशेष रूप से खीर या साबूदाना खिचड़ी का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

8. आरती
– पूजा के अंत में मां की आरती करें और भक्तिपूर्वक उनका आभार प्रकट करें।

9.प्रसाद वितरण
– अंत में, मां के भोग का प्रसाद सभी भक्तों में वितरित करें।

 पूजा का लाभ

मां कूष्मांडा की पूजा से भक्तों को अनेक लाभ मिलते हैं, जैसे:

– जीवन में खुशियों का संचार
– सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति
– मानसिक शांति और समृद्धि

इस नवरात्रि में मां कूष्मांडा की पूजा करके भक्त अपनी आध्यात्मिक शक्तियों को जागृत कर सकते हैं। यह समय है अपने मन, आत्मा और भावनाओं को एकत्रित करने का, ताकि हम मां कूष्मांडा से आशीर्वाद प्राप्त कर सकें और अपने जीवन में सकारात्मकता और शक्ति का अनुभव कर सकें।

आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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